एक्टिव-नॉन एक्टिव मेंबर को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं। वन बार-वन वोट पर भी बातें होती हैं। इन्हें किस तरह अमल में लाया जाए कि एसोसिएशन की सदस्यता पर सवाल न उठे और वकीलों का सम्मान भी बना रहे, ऐसी गाइडलाइन तैयार होनी चाहिए। अशोक सिंह, महासचिव
सुप्रीम कोर्ट बार की सदस्यता व मताधिकार की गाइडलाइन है। पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी एक गाइडलाइन बनाएगी कि कौन हाईकोर्ट बार का सदस्य हो सकता है और किसे एसोसिएशन के चुनाव में मताधिकार दिया जाना चाहिए। आरके ओझा, अध्यक्ष
इलाहाबाद विधि संवाददाताहाईकोर्ट बार एसोसिएशन की सदस्यता हासिल करने के लिए मापदंड बनाए जाएंगे। साथ ही मतदान के अधिकार के लिए सदस्य की क्या अर्हता होगी, यह भी तय किया जाएगा।एसोसिएशन ने इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी में तीन वरिष्ठ अधिवक्ता, जिनमें दो पूर्व अध्यक्ष भी हैं और दो पूर्व महासचिवों को रखा गया है। संयुक्त सचिव प्रेस जनार्दन यादव के अनुसार यह फैसला अध्यक्ष आरके ओझा की अध्यक्षता में सोमवार को हुई आपातकालीन बैठक में लिया गया। कमेटी में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश नारायण शर्मा, वीपी श्रीवास्तव व वीएम जैदी और पूर्व महासचिव प्राणोशदत्त त्रिपाठी व एनसी त्रिपाठी सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुक्रम में सदस्यता व मताधिकार की गाइडलाइन बनाएंगे। बैठक में यह भी तय हुआ कि मुकदमों से जुड़ी समस्याओं के संदर्भ में त्वरित कार्यवाही के लिए एसोसिएशन की कार्यकारिणी जल्द ही चीफ जस्टिस से मुलाकात करेगी। इसके अलावा सदस्या अधिवक्ता एकमुश्त 5600 रुपए या पांच-पांच सौ की दस व 600 रुपए की एक किश्त जमा करके आजीवन सदस्यता हासिल कर सकते हैं।
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